Bekhudi Le gayi kahaa.n humko - Mir Taqi Mir

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बेख़ुदी ले गयी कहाँ हम को
देर से इंतज़ार है अपना

(बेख़ुदी = बेख़बरी, आत्मविस्मृति)

रोते फिरते हैं सारी-सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना

दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इस में क्या इख़्तियार है अपना

(इख़्तियार = अधिकार, काबू, प्रभुत्व)

कुछ नही हम मिसाल-ए-अन्क़ा लेक
शहर-शहर इश्तेहार है अपना

(अन्क़ा  = फ़ारसी कविता का एक काल्पनिक पक्षी। इसे दु:साध्य और दुर्लभ के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया है), (लेक = लेकिन)

जिस को तुम आसमान कहते हो
सो दिलों का ग़ुबार है अपना

-मीर तक़ी मीर

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